कल एक व्यक्ति मिले उनका नाम हंपकलाल हरसोंठिया था । अब इसमें कोनसी हँसने वाली बात है।
हँसने की आदत तो हंपकलाल को थी। बात-बात में ठहाके लगाते बिना बात के भी हँसने लग जाते। तो मैने पूछ ही लिया आखिर बात क्या है,उन्होंने कहा "पहले मैं ऐसा नही था फिर अचानक मेरे साथ हादसा हो गया " ।
मैंने उत्सुकता से पूछा ऐसा क्या हुआ जो आप इतना हँसने लगे तो हंसते हुए ही बोले एक जमाना था । जब हम भी आपकी उम्र में हुआ करते थे।और उस उम्र में हमने बहुत मौज मस्ती की समय का बिल्कुल ध्यान नही रखा और फिर नौकरी करने लगे। उसके बाद जब शादी की उम्र हुई तो घरवालों ने जबरजस्ती शादी करवा दी ।
आज एक मोटी बीबी है । दो छोटे- छोटे बच्चे हैं, बीबी का जब मन होता है सुनाती रहती है और मौका मिलता है तो कूट भी देती है, क्योंकि हम ठहरे पतले दुबले तो उसका भी फायदा उठा लेती है । मेरी बीबी के पिता जी ने दहेज कुछ ज्यादा ही दे दिया था। उसी का दम्भ भरती रहती है। हफ्ते में एक दो बार ऐसा रंगारंग कार्यक्रम चलता ही रहता है। एक दिन दाल में नमक ज्यादा था बीबी जी ने पूछ लिया दाल कैसी बनी है हमने सोचा चलो तारीफ कर देते हैं ,उसमे भी भड़क गयी बोली झूठ बोलते हो अरे ! तुम तो खा लोगे लेकिन बच्चे कैसे खाएंगे । पड़ोसी भी फ्री का शो देखने पहुँच जाते है । और ऐसा नहीं है कि हमारी बनती नही है ,रहते तो बड़े प्यार से है लेकिन उनकी मर्जी से ,जब उनकी मर्जी का ना हो तभी ऐसा होता है । ये समझ लीजिए कि आग का दरिया है और रोज उसमे डुबकी लगाना है । घर मे हँसने का मौका नही मिलता तो बाहर जी भर कर हँसता हूँ, बात या बिन बात दोनों में हंसता हूँ।
और फिर कहते भी तो हैं कि हँसने से खून बढ़ता है और मुझे खून बढ़ाने की सख़्त जरूरत है ।
इतना सब सुनने के बाद मेरी भी हंसी निकल गयी ।
मैने मन में कहा इतना भी खून न बढ़ाइए की किसी दिन फट जाओ । फिर मेने पूछा आप ये सब कैसे झेलते है? तो उन्होंने फिर हँस दिया मैं समझ गया कि,हँसना बहुत जरूरी है।
आखिर में एक बात कही हंपकलाल ने :-
"की जिंदगी आपकी है इसे हँसकर बिताइये या मायूस होकर एक दिन बीत जानी है"।
इसलिए मैंने हंसकर बिताने का सोच लिया है चाहे परिस्थिति जैसी भी हो।
इसलिए हँसना बहुत जरूरी है।
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